खेती के प्रकार ( types of farming in hindi )
भारत एक कृषि प्रधान देश हैं। तथा भारत में खेती करने के अनेक तरीके है। हमारे देश में सभी क्षेत्रों में अलग-अलग खेती के प्रकार ( types of farming in hindi ) की खेती की जाती हैं।
भारत में लगभग 10000 साल से ज्यादा समय से खेती की जा रही है।
जमीन, पानी, जलवायु खेती का उपयोग किस के आधार पर इसके खेती के प्रकार विकसित हुए हैं।
भारत में की जाने वाली सभी प्रकार की खेती के प्रकार ( types of farming in hindi ) जानने की आज हम कोशिश करेंगे।
types of farming in hindi
सोपान कृषि ( Terrace cultivation )
सघन कृषि ( Intensive farming )
शुष्क भूमि खेती ( Dry agriculture )
रोपण खेती ( Plantation agriculture )
स्थानांतरण खेती ( Shifting agriculture )
जीविका खेती ( Subsistence farming )
मिश्रित खेती ( Mixed agriculture )
types of farming in hindi
सोपान कृषि ( Terrace cultivation ) –
आमतौर पर टेरेस कल्टीवेशन का हिंदी में मतलब होता है सोपान कृषि।
सोपान कृषि भारत में की जाने वाली खेती के प्रकार में से हैं।
इसके साथ पर्वत के उतार पर भी छोटे-छोटे टेरेस तैयार करके खेती की जाती है।
इस प्रकार की खेती मेघालया, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, और उत्तरांचल आदि राज्यों में की जाती है।
इस प्रकार की खेती ( types of farming in hindi) का एक डिसएडवांटेज होता है कि वर्षा से मिलने वाले पानी का ड्रेनेज जल्दी से हो जाता हैं। इसकी वजह से पानी की खपत ज्यादा होती हैं।
सघन कृषि ( Intensive farming ) –
इंटेंसिव फार्मिंग का हिंदी में मतलब गहन कृषि या फिर सघन कृषि ऐसा होता हैं।
खेती करने की इस प्रणाली में अधिक परिश्रम, धन, उर्वरक और किटकनाशक डालकर अधिक उत्पादन लिया जाता हैं।
एक ही जमीन पर 1 साल में कई फसलें बोई और उगाई जाती हैं।
मक्का और गन्ने की खेती में फ़र्टिलाइज़र, पेस्टिसाइड और ज्यादा मेन पावर इस्तेमाल की जाती है। एक प्रकार की इंटेंसिव फार्मिंग ( types of farming in hindi) है।
अन्न सुरक्षा के लिए इंटेंसिव फार्मिंग जरूरी है। सघन खेती में कम क्षेत्र से अधिक उत्पादन पाया जाता हैं।
शुष्क भूमि खेती ( Dry agriculture ) –
सिंचाई बिना की जाने वाली खेती को ड्राई लैंड एग्रीकल्चर या फिर (शुष्क भूमि खेती) कृषि कहा जाता हैं।
जहां बहुत कम बारिश होती है वहां खेती करने की यह प्रणाली ( types of farming in hindi ) का इस्तेमाल किया जाता है।
रोपण खेती ( Plantation agriculture )-
ऐसी फैसिलिटी एक बार खेत में रोपण कर देने के बाद काफी लंबे समय तक उत्पादन देती है ऐसी फसलों की खेती को प्लांटेशन फार्मिंग (रोपण खेती) कह जाता हैं।
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Plantation agriculture खेती के प्रकार
साधारण तौर पर वृक्षारोपण या फलों की खेती को रोपण खेती कहां जाता हैं।
पिस्ता, काजू, रबड़, कॉफ़ी, आम, अनार, कोकोनट, केला आदि फसलों का समावेश रोपण खेती में होता हैं।
रोपण खेती व्यापारी खेती का ही एक प्रकार है। जहां पर अधिक आय प्राप्त करने के हेतु से ही पेड़ों का रोपण किया जाता हैं।
स्थानांतरण खेती ( Shifting agriculture )-
जहां जंगल और भारी वर्षा होती है वहा शिफ्टिंग एग्रीकल्चर (स्थानांतरण खेती) की जाती हैं। किसान भाई पेड़ और झाड़ियों को काटकर मैदान साफ करते हैं।
इसके बाद मैदान पर दो-तीन साल तक पुराने उपकरण की मदद से खेती की जाती हैं।
Shifting agriculture खेती के प्रकार
दो-तीन साल के बाद वहां की मिट्टी अन उत्पादक हो जाती हैं। ऐसा हो जाने पर किसान जंगल के दूसरे हिस्से में इसी तरह की प्रक्रिया को दोहराते हैं। और वह खेती करता हैं।
जीविका खेती ( Subsistence farming )-
परिवार के निर्वाह के लिए की जाने वाली खेती को सबसिस्टेंस एग्रीकल्चर (जीविका खेती) कहा जाता हैं।
जीविका खेती के पीछे परिवार की जरूरत के आधार पर उत्पादन होता हैं।
खेती के प्रणाली में ज्यादातर किसान पुराने और परंपरागत तरीके ( types of farming in hindi ) के उपकरण का इस्तेमाल करते हैं।
Subsistence farming
यह खेती सामान्य तौर पर आसाम और हिमालया क्षेत्र के आदिवासी समूह में की जाती हैं।
खेती के इस प्रणाली में जमीन से पाया जाने वाला अनाज, उपज परिवार के उपयोग में ही लाया जाता हैं।
मिश्रित खेती ( Mixed agriculture )–
फसलों के उत्पादन के साथी पशुधन का उत्पादन कृषि की प्रणाली को मिश्रित खेती कहते हैं।
मिश्रित खेती का हेतु एक से अधिक स्त्रोत से आय प्राप्त करना होता है।
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