मोथा(साइप्रस रोटंडस/Cyperus Rotundus)
मोथा एक लगभग 70-75 cm ऊंचा बहुवर्षीय पौधा है। भूमि से ऊपर सीधा बिना शाखा वाला तना होता है। नीचे कंद होता है,जो सूत्र द्वारा प्रकंद जुड़े होते हैं, ये गूद्देदार सफेद और बाद में रेशेदार भूरे रंग के तथा अंत में पुराने होने पर लकड़ी कीतरह सख्त हो जाते हैं।
पत्तियाँ लम्बी, प्रायः तने पर एक दूसरे को ढके रहती हैं। तने के भाग पर पुष्पगुच्छ बनते हैं, जो पकने पर लाल-भूरे रंग में परिवर्तित हो जाते हैं। मुख्यरूप से कंद द्वारा संचरण होता है, इसमें बीज भी कुछ सहयोग देते हैं।
मोथा में प्रोटीन स्टार्च के अलावा कई कार्बोहाईड्रट पाए जाते है। यह पौधा पतली पत्तीयों के जोड़ से बड़ा होता है। बताया जाता है कि इसकी जड़ो की रस को 2-2 बूंद की मात्रा आंखो में डालने से कंजक्टीवायटिस समस्या खत्म हो जाती है।
गठियावाय के रोगी को मोथा और गोगरू का चूर्ण देने से उनको इस रोग में आराम मिलता है।मोथा घास के अनेकों फायदे है। इसके साथ मोथा घास की जड़ों के भी कई फायदे है।
मोथा घास शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है। इसमें एंटीवायरल, एंटी मॉइक्रोबिल प्रचुर मात्रा में पायी जाती है। जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढाती है। इसके अतिरिक्त इसकी जड़ों में पौष्टिक तत्व पाए जाते है। जोकि तनाव, अनिद्रा तथा थकान को दूर करती है।
इसमें प्रोलैक्टिन हार्मोन को बढ़ाने की क्षमता होती है। जिससे प्रसव के बाद महिलाओं के स्तन में दूध की वृद्धि होती है।
मोथा एनेमिया के नाशक से है।मोथा का रस को पीने से एनीमिया रोग बहुत हद तक कम हो जाता है। इसके पीने से शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है। क्योंकि यह खून को साफ़ करता है।
जिससे लाल रक्त कोशिकाएं में वृद्धि होती है।
इसकी तासीर ठंढी होती है। जिससे शरीर का तापमान स्थिर रहता है। ये उच्च रक्त चाव को बढ़ने से रोकने में सहयक है। जिससे मानसिक रोगों में लाभ मिलता है। कई रोग जैसे मिर्गी और हिस्टीरिया आदि रोगों में इसका प्रयोग किया जाता है। इसके आलावा मोथा के रस से कुल्ला करने पर मुंह के छाले खत्म हो जाते है। मोथा को पीसकर सिर पर लगाने से नकसीर खत्म हो जाता है।
मोथा के सेवन से पेट की बिमारी खत्म हो जाती है। जिससे पाचन क्रिया मजबूत हो जाती है। यह गैस, कब्ज आदि रोगों में लाभकारी है
मोथा में ग्लूकोज़ की मात्रा को कम करने की क्षमता होती है। जिससे शरीर में व्याप्त डायबिटीज़ यानि की शुगर कंट्रोल होता है।
यह ब्लड में मौजूद कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है। जिससे दिल संबंधी रोगों में फायदा मिलता है।
मोथा का काढ़ा पीने से सर्दी-खांसी और जुकाम में फायदा मिलता है।
यह अल्सर रोग को खत्म करने में भी सहायक है। इसमें फ्लेवोनॉयड्स पायी जाती है। जो अल्सर रोग को दूर करने में गुणकारी है।
मोथा(Cyperus Rotundus)
Reviewed by vikram beer singh
on
January 08, 2019
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