शिवलिंगी

शिवलिंगी

परिचय –शिवलिंगी का वैज्ञानिक नाम ब्रायोनिया लैसिनीसा (Bryonia Lasiniosa) है। शिवलिंगी बरसात में पैदा होने वाली एक लता है |

 जो समस्त भारत वर्ष में बाग़ – बगीचों में देखि जा सकती है | यह चमकीली एवं चिकनी बेल होती है | शिवलिंगी की शाखाएं पतली होती है जो किसी दुसरे पेड़ के सहारे उपर चढ़ती है , इन शाखाओं पर रेखाए भी होती है |



शिवलिंगी के पत्र 1/2 से 3 इंच तक लम्बे होते है , ये हरे रंग के एवं सफेद रोमयुक्त खुरदरे होते है | इसकी शाखाओं पर छोटे – छोटे हरित पित वर्णी फुल लगते है | शिवलिंगी के फल गोलाकार होते है ये कची अवस्था में हरे एवं पकने पर लाल रंग के हो जाते है | इनके फलों को सामान्य भाषा में कंकाली भी कहा जाता है।

इन्ही फलों को मसलने से शिवलिंगी के बीज प्राप्त होते है जिनका औषधीय उपयोग आयुर्वेद में किया जाता है |
शिवलिंगी के औषधीय गुण धर्म

शिवलिंगी के बीज गर्भ संस्थापक होते है | इसका रस कषाय एवं चरपरा होता है | यह उष्ण वीर्य की होती है | गुणों में यह स्निघ्ध होती है | इसके बीज उत्तम रक्त शोधक, त्वचा विकार नाशक, खून के बहाव को रोकने वाली , प्लीहा रोग नाशक होती है |

, एक पतला तेज पौधा है जो अप्रैल ओर दिसंबर के महीनों के बीच भारत में मिलता है। शिवलिंगी पौधे के लगभग सभी घटक जैसे भूरे रंग के बीज, गोलकार फल और इसकी चंचल पत्तियों सभी औषधीय गुणों (medicinal properties) वाली होती हैं।
 शिवलिंगी बीज के फायदे कितने महत्वपूर्ण हैं।बांझपन को भी दूर करता है. प्रजनन शक्ति बढ़ाने के अलावा भी इसमें कई अन्य गुण जैसे रक्त मेन लिपिड के स्तर को कम करना, रोगाणुओं का नाश करना, सूजन कम करना, फंगसरोधी, शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाना और दर्दनिवारक के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाता है. स्वाद में कड़वा लगाने वाले शिवलिंगी बीज के फ़ायदे निंलिखित हैं.

1.बुखार
बुखार को कम करने में शिलिंगी बीज महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. शिवलिंगी के पत्तों का सेवन बुखार में अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है. शिवलिंगी के पत्तों में पैरासेटामॉल जैसे ज्वरनाशी गुण पाए जाते हैं. आप चाहें तो इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर भी पी सकते हैं. आपको बता दें कि शिवलिंगी बीज में पीड़ा-नाशक गुण भी होते हैं।
2.वजन कम करने में
बॉडी मॉस इंडेक्स को सही करने और शरीर के वजन को कम करने में शिवलिंगी बीज की सकारात्मक भुमिका है. इसके लिए इसमें पाया जाने वाला ग्लुकोमानन जिम्मेदार है. अपना मोटापा कम करने के लिए आपको शिवलिंगी बीज को नियमित रूप से और सही मात्रा में इस्तेमाल करना जरुरी है.
3. बांझपन को दूर करने में
कई महिलाओं में बांझपन की समस्या देखने को मिलती है. प्रजनन का सीधा संबंध अंडाणु और शुक्राणु से है. विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं में बांझपन अंडे की कम संख्या या गुणवत्ता के कारण हो सकती है. इस तरह की स्थिति के लिए कोई बीमारी या चोट लगना जिम्मेदार हो सकती है. स्वाभाविक रूप से ये समस्या बढ़ती उम्र के साथ आती है.
शिवलिंगी बीज ओवेरियन रिज़र्व जैसी ओवुलेशन से निजात पाने में अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है. दरअसल ये पीरियड्स को नार्मल करता है. हलांकि इस विषय में अभी भी काफी शोध किया जाना बाकी है ताकि इसका और प्रभावी तरीके से इस्तेमाल किया जा सके.
4. कब्ज में शिवलिंगी बीज के फायदे
शिवलिंगी के बीज में ग्लुकोमानन नाम का एक पानी में घुलनशील प्राकृतिक फाइबर पाया जाता है. इसलिए ये पानी को अवशोषित करके आंत में मल त्याग की प्रक्रिया को बेहतर करता है. इस प्रकार ये कब्ज के उपचार में फायदेमंद साबित होता है. कब्ज आदि समस्याएं, हमारे शरीर में कई अन्य समस्याओं को भी जन्म देती हैं. इसलिए इसका ये अतिरिक्त फायदा है कि आप अनावश्यक बिमारियों से बच जाते हैं.
5. यौन ऊर्जा बढ़ाने के लिए
यदि आप शिवलिंगी बीज का उचित मात्रा में सेवन करें तो ये पुरुष के यौन अंगों जैसे वृषण, अधिवृषण और प्रोस्टेट आदि के वजन में वृद्धि करता है. यही नहीं ये शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाकर शुक्राणु कोशिकाओं में फ्रक्टोज की मात्रा भी बढ़ाते हैं. जिससे कि शुक्राणु द्रव के पोषण के स्तर में सुधार होता है. कुल मिलाकर ये आपकी यौन ऊर्जा में वृद्धि करते हैं.
6. गर्भाशय के लिए फायदेमंद
आयुर्वेद के अनुसार शिवलिंग बीजों को पुत्र जीवक बीज के साथ मिलाकर इसका पाउडर लेने से गार्भाशय की मांसपेशियों में मजबूती आती है. शिवलिंग बीज महिलाओं को गर्भवती होने में भी उनकी सहायता करता है. इसके लिए अप इस पाउडर को उस गाय के दूध के साथ मिलाएं जिसने बछड़े को जन्म दिया हो. इसे सुबह-शाम खाली पेट लेने से आपको इसका लाभ मिलता है.
क्या है शिवलिंगी का नुकसान
शिवलिंगी के बीज का वैसे तो कोई खास नुकसान नहीं देखा गया है. लेकिन कुछ आम सावधानियां जो कि सभी दवाओं को लेने में बरतनी चाहिए, उन्हें जरुर फॉलो करें. शिवलिंगी बीज से बनी दवाओं को जरूरत से ज्यादा मात्रा में न लें. जब भी किसी बीमारी के लिए शिवलिंगी बीज का इस्तेमाल करना हो तो किसी आयुर्वेदाचार्य से परामर्श अवश्य लें.


 इन बीजों में एंटीऑक्‍सीडेंट, एंटीमाइक्रोबायल, एनाल्‍जेसिक, एंटी-फंगल, दर्द कम करने वाले, एंटीहाइपरलिपिडेमिक(लिपिड को कम करने वाले) और शुक्राणु को बढ़ाने बाले गुण होते हैं। ये गुण इसे प्रभावी गर्भाशय टॉनिक (uterine tonic) बनाते हैं जो महिलाओं में बांझपन का इलाज करने में मदद करते हैं।
शिवलिंगी बीज एक कड़वा तेज स्‍वाद के लिए जाना जाता है। प्रमाणित या पेशेवर पर्यवेक्षण के तहत उपयुक्‍त मात्रा में सेवन करने पर अधिकांश व्‍यक्तियों के लिए यह सुरक्षित और फायदेमंद होता है। आइऐ जाने शिवलिंगी (Bryonia Laciniosa) से होने वाले फायदे जो आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए लाभदायक है।
भारतीय आयुर्वेद के अनुसार यह अपनी पत्तियों के माध्यम से दर्द और सूजन को कम करता है। इसके बीज के माध्यम से यौन शक्ति को बढ़ाया जा सकता है। आज, शिवलिंगी मुख्य रूप से प्राकृतिक कामोद्दीपक औषधि ओर प्रजनन क्षमता को बढ़ाने वाली जड़ी बूटी के रूप में प्रयोग किया जाता है जिसे मर्दाना ताकत और जवानी (masculinity and youthfulness) को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है।

महिला प्रजनन क्षमता (female fertility) को बढ़ाने के लिए शिवलिंगी बीज फायदेमंद होते हैं, और माना जाता है कि शिवलिंगी का सेवन करने वाली महिला के गर्भवती होने की संभावना बढ़ जाती है।
शिवलिंगी बीज एक प्राकृतिक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जिसका उपयोग बांझपन उपचार के लिए किया जाता है । यह महिला बांझपन के इलाज के लिए एक प्राकृतिक उपाय है। यह हार्मोन को संतुलित करने और प्राकृतिक रूप से बांझपन उपचार में मदद करता है। फायदेमंद परिणाम प्राप्त करने के लिए इसे नियमित रूप से लिया जा सकता है। शिवलिंगी बीज बांझपन उपचार के लिए इस्‍तेमाल होने वाली उम्र से सम्बंधित समस्याओं के लिए जाना जाता है। यह मादा अंगों को पोषण प्रदान करता है और सामान्‍य कामकाज का समर्थन करता है। शिवलिंगी बीज परंपरागत रूप से मादा अंगों को पोषित करने और गर्भवस्‍था को बनाए रखने के लिए हार्मोन को संतुलित करने के लिए जाना जाता है। यह बार-बार होने बाले गर्भपात से पीड़ित महिलाओं के लिए एक बहुत अच्‍छा प्राकृतिक उत्‍पाद है।

अच्‍छे परिणाम पाने के लिए शिवलिंगी बीज का इस्‍तेमाल पुत्रीजीवक बीज के साथ किया जा सकता है। शिवलिंगी बीज मादा हार्मोन को संतुलित करके मासिक धर्म विकारों के इलाज में मदद करता है। शिवलिंगी बीज सामान्‍य कार्यों के लिए यौन अंगों को पोषण देता है और बांझपन के उपचार में मदद करता है। शिवलिंगी बीज महिला बांझपन के लिए एक सुरक्षित उत्‍पाद है और इसे लंबे समय तक लिया जा सकता है क्‍योंकि यह किसी दुष्‍पभाव का उत्‍पादन नहीं करता है।
शिवलिंगी बीज का प्रयोग टेस्‍टोस्‍टेरोन बढ़ाने में – 
शिवलिंगी का उपयोग पारंपरिक रूप से एफ्रोडायसियाक और प्रजनन (aphrodisiac and fertility) बूस्‍टर के लिए किया जाता है। शिवलिंगी टेस्‍टोस्‍टेरोन उत्पादन को उत्तेजित करके टेस्‍टोस्‍टेरोन के स्तर में वृद्धि कर सकता है। एक पशु अध्ययन में बताया गया है कि शिवलिंगी को ल्‍युटिनिजिंग हार्मोन का स्राव बढ़ाने के लिए हाइपोथेलेकिम-पिट्यूटरी-ग्लैंड (hypothalamic-pituitary-gonadal)  को प्रभावित करने के लिए दिखाया गया था, जो बाद में टेस्‍टोस्‍टेरोन उत्पादन में वृद्धि करता है। टेस्‍टोस्‍टेरोन के स्तर को जिन्सेंग (Ginseng) और कई अन्य आयुर्वेदिक टेस्‍टोस्‍टेरोन बूस्‍टर में उसी मार्ग के माध्‍यम से बढ़ाते दिखाया गया है। शिवलिंगी बीज पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्‍या बढ़ाने और यौन व्‍यवहार को बढ़ावा देने में भी मदद करते हैं।

शिविलिंगी में सैपोनिन (saponins) की उच्च मात्रा संभावित रूप से कुछ अन्य अज्ञात तंत्र के माध्यम से टेस्‍टोस्‍टेरोन को सक्रिय भी कर सकती है
आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा शिवलिंगी बीजों को पुरुष यौन स्‍वास्‍थ्‍य पर उनके सकारात्‍मक प्रभाव के कारण एक शक्तिशाली कामोद्दीपक औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। इन बीजों का उचित मात्रा एपिडिडिस, वृषण और पौरुषग्रंथि (testes and prostate) जैसे महत्‍वपूर्ण पुरुष यौन अंगों के वजन को बढ़ाने के लिए पाया गया है। न केवल यह शुक्राणुओं की संख्‍या में वृद्धि करने में मदद करता है बल्कि यह शुक्राणु कोशिकाओं में फ्रक्‍टोज सामग्री (fructose) को बढ़ाकर शुक्राणु तरल पदार्थ के पोषण स्‍तर को भी बढ़ावा देता है। ये सभी पुरुष कामेच्छा और प्रजनन क्षमता के लिए लाभदायक होते हैं।
शिवलिंगी बीज के फायदे बुखार को कम करने में – 
आयुर्वेद में बुखार, ज्वर निवारक और पीड़ा-नाशक प्रभावों को दूर करने के लिए शिवलिंगी बीज का उपयोग किया जाता है। शिवलिंगी पत्तियों की ज्वर हटाने वाली क्रिया (antipyretic action) पैरासिटामोल की तरह होती है जो हमारे शरीर के तापक्रम को कम कर बुखार को दूर करने में मदद करते हैं।


शिवलिंगी के बीज का उपयोग कब्ज के इलाज में – 
ग्‍लूकोमन (glucomannan) नामक प्राकृतिक आहार फाइबर शिवलिंगी बीजों में पाया जाता है, जो पानी में घुलनशील फाइबर होता है। यह पानी को अवशोषित करके आंत में पानी की मात्रा को अधिक बनाता है और आंत्र आंदोलन (bowel movement) में मदद करता है, जिससे मल त्यागने में आसानी होती है। इस प्रकार कब्ज के लिए प्रभावी इलाज के रूप में कार्य करता है। विशेष तौर पर बच्चों के लिए।
शिवलिंगी सीड्स फ़ॉर वेट लोस – 
शिवलिंगी बीज का सेवन एक मोटापा विरोधी कार्रवाई करते हैं। जब नियमित रूप से और सही मात्रा में इसका सेवन किया जाता है, तो ये बीज शरीर द्रव्‍यमान सूचकांक (body mass index) और शरीर के वजन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। यह क्रिया ग्‍लूकोमोनन के परिणाम की सबसे अधिक संभावना है जो स्‍वस्‍थ्‍य आंत्र आंदोलन (bowel movement) और मल त्यागने में सहायता करती है।


पुत्रजीवक बीज एंड शिवलिंगी बीज का उपयोग – 
गर्भावस्था की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए शिवलिंगी के बीज और पुत्रजीवक के बीज का पाउडर साथ में लिया जा सकता है। इसे नाश्ते और रात के खाने से एक घंटे पहले दूध के साथ 1 चम्मच के खुराक पर लिया जा सकता है। इस दवा का सेवन करने से पहले आयुर्वेद डॉक्टर की सलाह अवश्य ले क्योंकि वह आपको इसकी सही खुराक के बारे में और अच्छे से बता सकते है।


शिवलिंगी शिवलिंगी Reviewed by vikram beer singh on January 13, 2019 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.